जीवन में सफलता की कुंजी है प्रेरणा!
गांव के एक स्कूल में शिक्षक क्लास ले रहे थे। वे हमेशा मन लगाकर बच्चों को पढ़ाते थे। शिक्षक को पूरी उम्मीद थी कि उनके पढ़ाने से सभी बच्चे पास हो जाएंगे। यह काम रोज का था, शिक्षक पढ़ाते जाते और बच्चे पढ़ते जाते। इसमें कभी अनियमितता नहीं हुई। कभी-कभी शिक्षक बच्चों से सवाल भी पूछते थे और बच्चे उनको जो भी जवाब देते, वे शाबासी का गुलदस्ता उनको जरूर भेंट करते थे। शाबासी पाकर बच्चे भी खुश हो जाते थे।
एक दिन कुछ ऐसा हुआ। शिक्षा विभाग के अफसर जांच करने आए। आते ही सीधे कक्षा में घुस गए और विद्यार्थियों से बात की। सवाल तो पूछना ही था, तो उन्होंने सवाल का पहला तीर छोड़ा। दो में दो जोड़ने पर कितना होगा? जो बताएगा, वह वीर कहलाएगा! दो जोड़ दो कितना…? तब एक लड़का बोला – पांच। लड़के ने जैसे ही पांच बोला कि शिक्षक उसके करीब आए। उसकी पीठ थपथपाई और शाबास कहते हुए उसे बैठने को कहा। शिक्षक के ऐसा करने पर वह अफसर चौंक पड़े और फिर झल्लाते हुए बोले – अरे! गणित के सवाल के गलत जवाब पर भी आप शाबासी दे रहे हैं? ऐसा क्यों? उनकी बात सुनकर शिक्षक सकपकाए, मिमियाए, कुछ झेंप खाए और फिर यह वेद वाक्य बोल पड़े – सर! मैं बतलाता हूं आपको, इस लड़के को शाबासी देने का राज। आपको बताता हूं कि आखिर क्यों मैंने इसको शाबासी दी। यह धीरे-धीरे प्रगति करता जा रहा है। कल ही मैंने इससे यह सवाल पूछा था कि दो में दो जोड़ने पर कितना होगा, तो इसने फटाक से जवाब देते हुए कहा था – छह। आज पांच बोला। अब प्रगति तो कर ही रहा है। इसी तरह पढ़ेगा तो सर, कल यह अपने आप ही चार पर आ जाएगा। बेहतर करने पर इसे शाबाशी तो मिलनी ही चाहिए।
शिक्षक ने छात्र को मोटिवेशन (प्रेरणा) देने की यह विशेष दास्तान सुनाई और साथ ही इस बात की व्याख्या भी की कि बच्चे के आगे बढऩे की प्रक्रिया में किस तरह सुधार आता जाएगा। अब जरा आप खुद से प्रश्न पूछिए, विश्लेषण कीजिए कि –
- मोटिवेशन यानि अभिप्रेरणा का मेरे जीवन में क्या महत्व है?
- मैं अपने जीवन में सेल्फ मोटिवेशन कैसे लाऊं?
- मेरे मोटिवेशन में कौन-कौन सी बाधाएं हैं?
- इस समय मुझे किस प्रकार के मोटिवेशन की आवश्यकता है?
- मैं अपने मोटिवेशन को लक्ष्य के लिए केंद्रित कैसे करूं?
- मैंने दूसरे को कब-कब किस तरह मोटिवेट किया?
कोई शक नहीं कि जीवन में आगे बढ़ने के लिए मोटिवेशन की खास जरूरत होती है। यह वह शक्ति है, जो व्यक्ति की गतिशीलता निर्धारित करती है और उसमें आगे बढ़ने का हौसला बना रहता है। ऊर्जा का स्रोत न तो शरीर होता है, न ही बुद्धि, बल्कि सच तो यही है कि किसी भी व्यक्ति के आत्मतत्व में मोटिवेशन की अकूत, अथाह, व्यापक, विस्तृत ऊर्जा संचित रहती है, जो बुद्धि के सहारे शारीरिक क्रिया-कलापों के द्वारा व्यक्ति के जीवन को ऊर्जा और आनंद से भर देती है। इसलिए प्रेरणा का मंत्र हमें समझना चाहिए। तभी हम अपने तथा दूसरों के लिए भी जीवन में सफलता की स्वर्णिम राह का निर्माण कर सकते हैं। ध्यान देने की खास बात यह है कि सफलता सही काम के लिए ही मिले, गलत के लिए नहीं। थोड़ी सी शाबाशी भी आपको आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती है, पर शाबाशी सही काम के लिए ही मिलनी चाहिए।
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