कुछ गुज़री कुछ गुज़ार दी,
कुछ निखरी कुछ निखार दी,
कुछ बिगड़ी कुछ बिगाड़ दी,
कुछ अपनी रही कुछ अपनों पर वार दी,
कुछ इश्क में डूबी कुछ इश्क ने तार दी,
कुछ दोस्त साथ रहे कुछ कसर दुश्मनो ने उतार दी,
बस ज़िन्दगी मिली मुझे.. ज़िन्दगी जैसी ही गुज़ार दी!
कुछ निखरी कुछ निखार दी,
कुछ बिगड़ी कुछ बिगाड़ दी,
कुछ अपनी रही कुछ अपनों पर वार दी,
कुछ इश्क में डूबी कुछ इश्क ने तार दी,
कुछ दोस्त साथ रहे कुछ कसर दुश्मनो ने उतार दी,
बस ज़िन्दगी मिली मुझे.. ज़िन्दगी जैसी ही गुज़ार दी!
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