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Friday, September 21

कैसे बनें कुशल वक्ता? क्या है इसका ‘कोड-5’

कैसे बनें कुशल वक्ता? क्या है इसका ‘कोड-5’


कैसे बनें कुशल वक्ता? क्या है इसका ‘कोड-5’
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बहुत लोगों के लिए भाषण देना एक बहुत मुश्किल काम है, स्टेज पर खड़े होते ही पसीना छूट जाता है। हालांकि ये भी सच है कि तीन-चार बार स्टेज से बोलने के बाद आपका ये डर खत्म हो जाता है या कम हो जाता है। वक्ता तो आप बन जाते हैं, लेकिन कुशल वक्ता होना आसान नहीं। कॉरपोरेट हो, पॉलिटिक्स हो, कॉलेज हो, सोसायटी हो या फिर और कोई भी फील्ड, कुशल वक्ताओं की पूछ हर जगह होती है। ऐसा होना मुश्किल जरूर हो लेकिन नामुमकिन नहीं, ड्राइविंग और स्विमिंग की तरह थोड़ी सी प्रेक्टिस और कुछ नियमों को लगातार फॉलो करने से आप अच्छे वक्ता बन सकते हैं, हां पर बिना क्रिएटिव माइंड के राह आसान नहीं। कुछ खास बातों का ध्यान एक अच्छा वक्ता हमेशा रखता है, लेकिन कैसे अपने आप में कुछ सुधार करके यह हासिल कर सकते हैं, आइए जानते हैं।
आपने मोदी जैसे किसी नेता या अमिताभ बच्चन जैसे अभिनेता को मंच पर आते वक्त देखा होगा कि कैसे वो मंच पर आते ही उत्साह और जोश से भर जाते हैं, उनका ये उत्साह खोखला नहीं होता, उनका ज्ञान और विषय पर पकड़ उनकी आंखों में चमक की असली वजह होती है। तो जाहिर है आपको जिस विषय पर बोलना है, उसकी पहले से तैयारी बहुत जरूरी है। घबराहट एक ऐसी चीज है जो सबको होती है चाहे वो कुशल खिलाड़ी हो या नौसिखिया, सो उसे अपने ऊपर हावी होने से बचा जाए उतना ही ठीक है। इससे बचने का एक ही तरीका है अभ्यास, क्योंकि तैराकी अगर सीखनी है तो पानी में उतरना ही होगा, किनारे पर बैठकर तैराकी के नुस्खे सीखने से कुछ नहीं होगा।
विषय का ज्ञान और उस पर पकड़ दो अलग-अलग बातें हैं, विषय का ज्ञान होना ही पर्याप्त नहीं है, आपकी उस पर पकड़ भी होनी चाहिए। जितना आप उसे समझेंगे, उतना ही आत्मविश्वास से आप समझा पाएंगे, बोल पाएंगे। सबसे पहले श्रोताओं से कनेक्ट होना बहुत जरूरी है, उसके लिए प्रभावी वाक्यों, शब्दों का चयन जरूरी है, उसके लिए अच्छे से तैयारी करें, शुरूआत में ही श्रोताओं से अगर आप कनेक्ट हो जाते हैं, तो वो आपकी हर बात को सीरियसली लेते हैं। कभी-कभी आपको मौके पर ही श्रोताओं से कनेक्ट करने की कई बातें मिल जाती हैं, जैसे मोदी की एक हालिया रैली में हुआ, बल्लियों पर चढ़े युवकों को देखते ही मोदी ने कहा, पहले आप उतरिए तब मैं बोलना शुरू करूंगा। सारी जनता को लगा कि मोदी ये क्या कह रहे हैं, क्या कर रहे हैं और वो जुड़ गए। उनसे कनेक्ट करने के लिए कभी-कभी वो उनसे पर्सनल सवाल भी करते हैं कि क्या आपने ऐसा कभी किया है?  या फिर आपमें से कितने लोग हैं जिनके घर में कोई सरकारी कर्मचारी है? हाथ उठाइए। इन सब बातों से जहां वक्ता का आत्मविश्वास देखने को मिलता है, वहीं कभी-कभी वो आते ही बताना शुरू कर देते हैं कि जब मैं यहां आ रहा था तो किसी ने मुझसे इस ईवेंट के बारे में ऐसा कहा।
वक्ताओं के लिए स्पीकिंग की ए,बी, सी, डी, ई जरूर याद रखनी चाहिए। ए फॉर एक्शन और एरिया यानी आप जिस सब्जेक्ट एरिया के बारे में आप बोलने आए हैं, आपके पास एक्शन प्लान है कि नहीं, जानकारी है कि नहीं, उस एरिया की समस्या और उसका समाधान है कि नहीं। दूसरा बी यानी बोल्डनेस, ये आपके कॉन्फीडेंस का पैमाना है, मंच पर बोलते वक्त आत्मविश्वास से लबालब होने चाहिए। तीसरा सी यानी क्रिएटिव, क्रिएटिवटी बहुत जरूरी है, कुछ जुमले, कुछ शेर, कुछ कविताएं, कुछ जोक, कुछ प्रेरणा देने वाले वाकए आपके दिमाग की मेमोरी में हमेशा होने चाहिए, और आपकी क्रिएटिवटी इसमें है कि आप मौके की नजाकत को देख कर फौरन मौके पर चौका मार सकें।
चौथा है डी यानी डाटा, आपको अपने विषय के कुछ इंटरेस्टिंग डाटा जरूर तैयार करके बोलने जाना चाहिए, डाटा या आंकड़े देने से आपकी बातों में वजन आता है, जब मोदी बिहार जाते हैं तो बिहार सरकार के क्राइम का वही आंकड़ा लेकर जाते हैं, जो नीतीश सरकार को डाउन कर सके। वहीं नीतीश आते हैं तो एक दूसरे आंकड़े के साथ जो मोदी की बात को हलकी कर सके, जाहिर है डाटा अहम रोल प्ले करता है और ये हर फील्ड में करता है, टीवी के एंकर से लेकर कॉरपोरेट कंपनियों में होने वाली मीटिंग तक में। पांचवां शब्द है ई, यानी एनर्जी, जब आप बोल रहे हों तो आपके आसपास मंच पर, श्रोताओं के बीच, आयोजकों के बीच एनर्जी लेवल हाई होना चाहिए। अच्छे वक्ता वो होते हैं जो मंच पर आते ही सबसे पहले पूरे ईवेंट की एनर्जी बढ़ा देते हैं, स्लोगंस, गीत या चुटीले वाक्यों से ऐसा किया जा सकता है। हर फील्ड के अच्छे वक्ताओं के वीडियोज यूट्यूब में देखकर आसानी से इसे किया जा सकता है।
जब आप मंच पर हों तो यह विश्वास होना जरूरी है कि ये आपका मंच है, आपकी सत्ता है और इस पर आपकी पूरी पकड़ जरूरी है क्योंकि आप अपने अंदर यह महसूस नहीं करेंगे तो आपकी अपनी बात पर भी पकड़ नहीं रहेगी। नम्र रहिए लेकिन दब्बू नहीं। आंकड़ों और बातों में सच्चाई होनी चाहिए, और विचारों को पूरी मजबूती से रखिए।
एक और बड़ी बात है लय और शैली। वक्ता यदि अपने ज्ञान का प्रदर्शन एक सुर में करता रहे तो शायद आधे से ज्यादा श्रोता सो जाएंगे। इसलिए माहौल बोरिंग ना हो, इसलिए इससे बचना जरूरी है। अपनी बातों में लय, रस और एक दिलचस्प शैली डेवलप करना बहुत जरूरी है। बस अपनी बात को फील करिए, और उसी भावनात्मक अंदाज में पब्लिक के सामने रख दीजिए, देखिएगा श्रोता कैसे बहे चलेगा आपके साथ।
बोलने से पहले ये भी ध्यान में रखना जरूरी है कि सुनने वाले कौन हैं, मेजोरिटी किसकी है। जाहिए है बच्चे सामने बैठे हैं, तो आपको उनके मूड को ध्यान में रखना होगा, महिलाएं हैं तो उनसे जुड़ी बातों को अपने शब्दों में पिरोना होगा। कॉरपोरेट्स हैं तो उनकी डेली लाइफ से जुड़ी बातों, किस्सों को लेना होगा, युवा किसी और तरह के मूड में रहता है और गांव देहात के लोग अलग तरह की बातें सुनना चाहते हैं।
और सबसे बड़ी बात है प्रैक्टिस, जब मौका मिले, जहां मौका मिले, स्कूल की स्टेज पर, मोहल्ले की मीटिंग में, घर के फंक्शन में जिस मुद्दे पर मौका मिले, कुछ ना कुछ जरूर बोलिए। धीरे-धीरे आपकी झिझक और डर मिटने लगेगा। स्वामी विवेकानंद ने कहा था कि आप जिससे सबसे ज्यादा डरते हैं, उसी पर सबसे पहले अटैक करिए, यानी बोलना शुरू करिए। वैसे आजकल तो शुरुआत मोबाइल कैमरे के साथ भी की जा सकती है, तैयारी करिए, अपना मोबाइल ठीक ऊंचाई पर सेट करिए, वीडियो कैमरा ऑन कर दीजिए और कर दीजिए शुरुआत अच्छा वक्ता बनने की। फिर तैयारी करिए, फिर बोलिए, फिर खुद तुलना करिए या खास दोस्त से करवाइए कि पहले से बेहतर हुआ कि नहीं। खुद से ही कम्पटीशन करिए, सच मानिए धीरे-धीरे आप जानेंगे कि अरे, ये तो बहुत ही आसान था।

Friday, September 14

मृत्यु हमें नहीं बख्शेगी

मृत्यु हमें नहीं बख्शेगी


मुझे क्वोरा पर जेदिदियाह बेनहुर मार्गोचिस वाइज़ली (Jedidiah Benhur Margoschis Wisely) के उत्तर पढ़ना बहुत पसंद है. वे जीवन के गहरे पहलुओं पर बहुत संजीदगी से लिखते हैं. उनके एक उत्तर ने मुझे इतना प्रभावित किया कि मैंने झटपट हिंदीज़ेन के लिए उसका अनुवाद कर लिया. लेकिन काम पूरा होने के बाद मैंने यह पाया कि बेनहुर ने अपने उत्तर अनुवाद के लिए उपलब्ध नहीं कराए हैं. इस स्थिति में मेरा अनुवाद व्यर्थ हो जाता इसलिए मैंने इसे यहां प्रस्तु करने का विचार किया है. मैं बेनहुर को इसकी सूचना दूंगा और उम्मीद करता हूं कि वे इसे अन्यथा नहीं लेंगे.

मेरा एक बहुत करीबी दोस्त है. वह बहुत अच्छा डॉक्टर है. बहुत प्यारा पति है. वह अपने बच्चों की देखभाल करने वाला बहुत आदर्श पिता है.
प्रोफेशनली वह बहुत सफल व्यक्ति है. वह अपना खुद का अस्पताल चलाता है… बल्कि अब यह कहना चाहिए कि चलाता था. वह अपने एरिया में भलाई के बहुत से काम करने के लिए प्रसिद्ध था.
वह लोगों की समय पर मदद करता था और वह निस्वार्थ भाव से लोगों के हित के लिए काम करता था. उसके एरिया के लोग उस पर भरोसा करते थे और यह मानते थे कि उसकी दवा से वह बहुत जल्दी ठीक हो जाएंगे. उसमें उनकी बहुत आस्था थी. वह उन लोगों के लिए भगवान या देवता की तरह था.
मेरे फैमिली सर्किल में भी वह अपने कठोर नास्तिक विचारों के कारण बहुत प्रसिद्ध था. तर्क-वितर्क, कार्य-कारण और ऑब्जेक्टिव अप्रोच उसके जीवन का आधार थे.
मेरा परिवार ईसाईयत में बहुत आस्था रखता है, और यही कारण है कि हम उसके विचारों को बहुत अचरज से देखते.
मेरे परिवार में अधिकांश व्यक्तियों की तुलना में वह बहुत संपन्न था. मेरे माता-पिता के पास तो अभी भी कार नहीं है लेकिन इस व्यक्ति के पास 10 साल पहले तीन-तीन कारें थीं.
वह कुत्तों से बहुत प्रेम करता था. उसके पास पांच ऊंची नस्ल के कुत्ते थे. शानदार भोजन, सुंदर घर, बढ़िया लाइफस्टाइल – और इन सब चीजों के साथ-साथ वह भला भी था और परोपकारी भी था. उसका जीवन संतुलित था और उसका व्यक्तित्व करिश्माई था.
वह ऐसा व्यक्ति था जिसे हम परफेक्ट पैकेज कहते हैं और एक युवक के नाते यह स्वाभाविक ही है कि मैं उसे अपना रोल मॉडल मानता था. मैं उसमें एक भी दोष नहीं देख पाता था.
यह मेरी इंजीनियरिंग का आखरी साल था जब हमें पता चला कि उसे पैंक्रिअाटिक कैंसर हो गया है. यह खबर हमारे ऊपर बिजली की तरह गिरी.
हमारा पूरा परिवार उसके घर गया. उसका जीवन किसे टूटते हुए तारे की तरह ढह रहा था.
पूरे कस्बे के लोग सदमे में थे और यकीन नहीं कर पा रहे थे. लोगों ने अपनी समझ के मुताबिक कुछ जायज़ और कुछ बेतुके लेकिन सही प्रश्न भी उठाए कि उसके साथ ऐसा कैसे हो सकता है? हम सभी लोगों में से केवल वही क्यों? एक डॉक्टर के साथ ऐसा कैसे हो सकता है?
उसके घर जाने वालों की भीड़ के साथ-साथ उसकी घड़ी भी टिक-टिक करती जा रही थी. मुझे याद है कि मैं उसके आखिरी 2 महीनों में उसे देखने गया.
मैं जब उसके घर के भीतर गया तो एक पल के लिए मेरी सांसे थम गई.
पर्दों पर धूल चढ़ गई थी. फर्श बहुत गंदा था. घर के बाहर लगे सुंदर पौधे मुरझाने लगे थे. कार को देखकर ऐसा लग रहा था जैसे उसे किसी ने कई दिनों से छुआ ही नहीं है. उसके 3 कुत्तों को कहीं भेज दिया गया था या किसी को दे दिया गया था. उसके घर काम करने वाली ने मेड ने मेरी मां को दबे शब्दों में कहा वह वीडियो और हेनरी (बाकी 2 कुत्तों के नाम) को तब तक अपने साथ रखना चाहता है जब तक…
घर के हर व्यक्ति के चेहरे पर मूर्दनी छाई थी. ऐसा लग रहा था जैसे मृत्यु ने कमरों में डेरा डाल लिया हो. पूरे घर में सन्नाटा पसरा हुआ था. कानों को सुन्न कर देने वाला सन्नाटा.
मैं उसके पलंग के सिरहाने तक गया और मैंने यह देखा कि उसके चेहरे की हर रौनक और चमक उसे छोड़कर जा चुकी थी. वह बेरंग और बेजान लग रहा था.
पादरी उसके कमरे में मौजूद था. उसने वहां उपस्थित सभी धर्मों के व्यक्तियों से कहा कि वे उसके लिए प्रार्थना करें. बाइबल की कई प्रतियां रखी हुई थी. कुरान और बाइबल के उद्धरण दीवारों पर चिपकाए गए थे.
उसकी पत्नी ने मुझे कैंसर का डायगनोसिस होने के बाद से ही उसमें आने वाले परिवर्तनों के बारे में बताया.
मैं उस रात उसे हो रही पीड़ा से होने वाले भय से अभी भी बेचैन हो जाता हूं. मैं हॉल में था और उसके कमरे से आने वाली रोने की आवाजों को सुन सकता था.
“कोई मुझे बचा ले! मैं अब यह दर्द सहन नहीं कर पा रहा हूं! जीसस प्लीज! मुझे सुन लो! मैं तुमसे भीख मांगता हूं! क्या कोई भगवान है जो मुझे सुन रहा है?”
मैं उसे 10 साल के बच्चे की तरह रोता हुआ सुन सकता था. मैं उसके हाथ पैरों को पटकने की और नाखून खरोंचने की आवाज सुन सकता था. ऐसा लग रहा था कि जैसे कोई जमीन पर घिसट रहा हो, छटपटा रहा हो, तड़प रहा हो.
कुछ मिनटों के बाद मैंने सुना “डार्लिंग, मुझे माफ कर दो! प्लीज मुझे माफ कर दो! प्लीज मुझसे यह कहो कि मैं जी जाऊंगा! बस मुझे कह दो! आह… बचा लो!”
और इसके बाद कुछ अस्पष्ट सी आवाजें घुटी हुई सांसे दबी-दबी सी सुनाई देती रहीं. यह सब लगभग 1 घंटे तक चलता रहा और उसके बाद चुप्पी छा गई जो बीच-बीच में उसकी पत्नी की रुलाई से टूट जाती थी.
अगली सुबह उसकी पत्नी ने कहा कि यह तो हर रात का किस्सा बन गया था. उसने कहा कि अब तो वह भी यह चाहने लगी थी कि इतना कष्ट झेलने से अच्छा है कि उसकी मृत्यु हो जाए. मैंने उसे मेरी मां के सीने से लग कर रोते हुए कहते हुए सुना कि “मैं चाहती हूं कि वह मर जाए लेकिन वह कहता रहता है कि कोई चमत्कार हो जाएगा और वह बच जाएगा”.
मैं उसके घर से चला आया और बाद में मेरी मां ने बताया कि उसके अंतिम पल कैसे थे.
वह अचेत होने से पहले सारे देवी-देवताओं के आगे गिड़गिड़ाता रहा, रोता रहा, बिलखता रहा. वह किसी चमत्कार में यकीन करने लगा था और वह अंतिम सांस तक उसकी प्रतीक्षा करता रहा.

हम सभी कितनी विचारधाराओं, मतों, विश्वासों, योजनाओं, नियमों, और नीतियों में यकीन करते हैं और उनसे चिपके रहते रहते हैं.
यह सब सिर्फ एक धोखा है.
जब हमारे फेफड़ों में ऑक्सीजन दौड़ने बंद हो जाती है… जब हमारी शिराओं में रक्त की हर बूंद थम जाती है… जब हमारे जीवन के अंतिम दिन निकट आ जाते हैं… जब हमारे जीवन के अंतिम क्षण प्रकट होने लगते हैं…
जब हमारा जीवन किसी शिखर से ढहने लगता है तब हमारे भीतर का मनुष्य बचने की चाह में छटपटाने लगता है. वह कांपता है, भीख मांगता है, रोता-गिड़गिड़ाता है. अपने जीवन के चारों और हमने जो बड़े-बड़े झूठ बोले हैं वह उन सबको गलत बताने लगता है.
एक-एक ईंट चुनकर आपने जो दीवार बनाई है वह किसी दिन धूल-धूसरित होकर ढह जाएगी. आपका कोई ज्ञान काम नहीं आएगा. यह याद रखिए कि जो व्यक्ति चमत्कार की प्रतीक्षा करता रहा वह बहुत अच्छा डॉक्टर था.
मैं और आप – हम सभी बहुत भंगुर हैं. हम सभी मांसपेशियों के गीले रेशों के पुलिंदे हैं.
झूठा जीवन जीना बंद कर दीजिए. जो आप बनना चाहते हैं, जो आप भीतर से हैं, आप वही बनिए.नास्तिक. धार्मिक. मोटे. पतले. अमीर. गरीब. प्रसिद्ध. अज्ञात.
किसी बात से कोई फर्क नहीं पड़ता. जीवन को इसकी वास्तविकता में जीने का प्रयास करते हुए जिएं. खूब प्यार करें. खूब जिएं. नफरत को मिटा दें. अहंकार को गला दें.
क्योंकि आप किसी भी तरीके से भी जीवन जीने का चुनाव करें लेकिन मृत्यु आपको बख्शेगी नहीं.

महात्मा बुद्ध के 51 अनमोल वचन - 51 Gautam Buddha Quotes in Hindi

महात्मा बुद्ध के 51 अनमोल वचन - 51 Gautam Buddha Quotes in Hindi



महात्मा बुद्ध के प्रेरक वचन किसी खज़ाने से कम नहीं। वे आज भी हमें राह दिखाते हैं। आइए हम उन्हें पढ़कर अपने जीवन में अपनाएं और अपना जीवन सफल बनाएं।


1. शक की आदत सबसे खतरनाक है। शक लोगों को अलग कर देता है। यह दो अच्छे दोस्तों को और किसी भी अच्छे रिश्ते को बरबाद कर देता है। 

2. अज्ञानी आदमी एक बैल के समान है। वह ज्ञान में नहीं, आकार में बढ़ता है।

3. क्रोध को पाले रखना गर्म कोयले को किसी और पर फेंकने की नीयत से पकडे रहने के सामान है, इसमें आप ही जलते हैं।

4. इर्ष्या और नफरत की आग में जलते हुए इस संसार में खुशी और हंसी स्थाई नहीं हो सकती। अगर आप अँधेरे में डूबे हुए हैं, तो आप रौशनी की तलाश क्यों नहीं करते।

5. एक जागे हुए व्यक्ति को रात बड़ी लम्बी लगती है, एक थके हुए व्यक्ति को मंजिल बड़ी दूर नजर आती है। इसी तरह सच्चे धर्म से बेखबर मूर्खों के लिए जीवन-मृत्यु का सिलसिला भी उतना ही लंबा होता है।

6. निश्चित रूप से जो नाराजगी युक्त विचारों से मुक्त रहते हैं, वही जीवन में शांति पाते हैं।

7. अतीत में ध्यान केन्द्रित नहीं करना, ना ही भविष्य के लिए सपना देखना, बल्कि अपने दिमाग को वर्तमान क्षण में केंद्रित करना।

8. बुराई अवश्य रहना चाहिए, तभी तो अच्छाई इसके ऊपर अपनी पवित्रता साबित कर सकती है।

9. एक मूर्ख व्यक्ति एक समझदार व्यक्ति के साथ रहकर भी अपने पूरे जीवन में सच को उसी तरह से नहीं देख पाता, जिस तरह से एक चम्मच, सूप के स्वाद का आनंद नहीं ले पाता है। 

10. मौत एक विचलित मन वाले व्यक्ति को उसी तरह से बहा कर ले जाती है, जिस तरह से बाढ़ में एक गांव के (नींद में डूबे हुए) लोग बह जाते हैं।

11. अच्छे स्वास्थ्य में शरीर रखना एक कर्तव्य है, अन्यथा हम अपने मन को मजबूत और साफ रखने में सक्षम नहीं हो पाएंगे।

Mahatma Buddha Quotes in Hindi

12. मैं कभी नहीं देखता क्या किया गया है, मैं केवल ये देखता हूं कि क्या करना बाकी है।

13. मन सभी मानसिक अवस्थाओं से ऊपर होता है।

14. जीवन में एक दिन भी समझदारी से जीना कहीं अच्छा है, बजाय एक हजार साल तक बिना ध्यान के साधना करने के।

15. आप अपने गुस्से के लिए दंडित नहीं हुए, आप अपने गुस्से के द्वारा दंडित हुए हो। 

16. जैसे मोमबत्ती बिना आग के नहीं जल सकती, वैसे ही मनुष्य भी बिना आध्यात्मिक जीवन के नहीं जी सकता। 

17. किसी बात पर हम जैसे ही क्रोधित होते हैं, हम सच का मार्ग छोड़कर अपने लिए प्रयास करने लग जाते है।

18. हर इंसान अपने स्वास्थ्य या बीमारी का लेखक है।

19. मन सब कुछ है, तुम जैसा सोचते हो, वैसा ही बनते हो।

20. जिस तरह से तूफ़ान एक मजबूत पत्थर को हिला नहीं पाता, उसी तरह से महान व्यक्ति, तारीफ़ या आलोचना से प्रभावित नहीं होते।

21. आकाश में पूरब और पश्चिम का कोई भेद नहीं है, लोग अपने मन में भेदभाव को जन्म देते हैं और फिर यह सच है ऐसा विश्वास करने लगते हैं।

Mahatma Buddha Quotes in Hindi
22. सभी व्यक्तियों को सजा से डर लगता है, सभी मौत से डरते हैं। बाकी लोगों को भी अपने जैसा ही समझिए, खुद किसी जीव को ना मारें और दूसरों को भी ऐसा करने से मना करें।

23. सभी बुरे कार्य मन के कारण उत्पन्न होते हैं। अगर मन परिवर्तित हो जाये तो क्या अनैतिक कार्य रह सकते हैं?

24. सभी बुराइयों से दूर रहने के लिए, अच्छाई का विकास कीजिए और अपने मन में अच्छे विचार रखिये-बुद्ध आपसे सिर्फ यही कहता है।

25. सत्य के मार्ग पर चलते हुए कोई व्यक्ति दो गलतियां कर सकता है। एक, पूरा रास्ता तय न करना और दूसरा, इसकी शुरुआत भी न करना।

26. चाहे आप जितने पवित्र शब्द पढ़ लें या बोल लें, वो आपका क्या भला करेंगे जब तक आप उन्हें उपयोग में नहीं लाते?

27. जिस व्यक्ति का मन शांत होता है, जो व्यक्ति बोलते और अपना काम करते समय शांत रहता है, वह वही व्यक्ति होता है जिसने सच को हासिल कर लिया है और जो दुःख-तकलीफों से मुक्त हो चुका है।

28. इच्छाओं का कभी अंत नहीं होता। अगर आपकी एक इच्छा पूरी होती है, तो दूसरी इच्छा तुरंत जन्म ले लेती है।

29. एक समझदार व्यक्ति अपने अंदर की कमियों को उसी तरह से दूर कर लेता है, जिस तरह से एक स्वर्णकार चांदी की अशुद्धियों को चुन-चुन कर, थोडा-थोडा करके और इस प्रक्रिया को बार-बार दोहरा कर दूर कर लेता है।

30. उसने मेरा अपमान किया, मुझे कष्ट दिया, मुझे लूट लिया, जो व्यक्ति जीवन भर इन्हीं बातों को लेकर शिकायत करते रहते हैं, वे कभी भी चैन से नहीं रह पाते हैं। सुकून से वही व्यक्ति रहते हैं, जो खुद को इन बातों से ऊपर उठा लेते हैं।

31. अगर थोड़े से आराम को छोड़ने से व्यक्ति एक बड़ी खुशी को देख पाता है, तो एक समझदार व्यक्ति को चाहिए कि वह थोड़े से आराम को छोड़कर बड़ी खुशी को हासिल करे।

Mahatma Buddha Quotes in Hindi32. स्वास्थ्य सबसे बड़ा उपहार है, संतोष सबसे बड़ा धन है, वफ़ादारी सबसे बड़ा सम्बन्ध है।

33. जो व्यक्ति, क्रोधित होने पर अपने गुस्से को संभाल सकता है वह उस कुशल ड्राईवर की तरह है जोकि एक तेजी से भागती हुई गाडी को संभाल लेता है और जो ऐसा नहीं कर पाते, वे केवल अपनी सीट पर बैठे हुए दुर्घटना की प्रतीक्षा करते रहते हैं।

34. अगर व्यक्ति से कोई गलती हो जाती है, तो कोशिश करें कि उसे दोहराएं नहीं। उसमें आनन्द ढूंढने की कोशिश न करें, क्योंकि बुराई में डूबे रहना दुःख को न्योता देता है। 

35. किसी जंगली जानवर की अपेक्षा एक कपटी और दुष्ट मित्र से अधिक डरना चाहिए, क्योंकि जानवर तो बस आपके शरीर को नुक्सान पहुंचा सकता है, पर एक बुरा मित्र आपकी बुद्धि को नुक्सान पहुंचा सकता है।

36. हमें अपने द्वारा की गयी गल्तियों की सजा तुरंत भले न मिले, पर समय के साथ कभी न कभी अवश्य मिलती है।

37. जिस तरह से एक तीर बेचने वाला अपने तीर को सीधा करता है, उसी तरह से एक समझदार व्यक्ति खुद को साध लेता है।

38. व्यक्ति खुद ही अपना सबसे बड़ा रक्षक हो सकता है; और कौन उसकी रक्षा कर सकता है? अगर आपका खुद पर पूरा नियंत्रण है, तो आपको वह क्षमता हासिल होगी, जिसे बहुत ही कम लोग हासिल कर पाते हैं।

39. तीन चीज़ें लंबे समय तक छिप नहीं सकतीं, सूर्य, चंद्रमा, और सत्य।

40. आपके पास जो कुछ भी है है उसे बढ़ा-चढ़ा कर मत बताइए, और ना ही दूसरों से इर्श्या कीजिये। जो दूसरों से इर्श्या करता है उसे मन की शांति नहीं मिलती।

Mahatma Buddha Quotes in Hindi
41. कोई भी व्यक्ति बहुत ज्यादा बोलते रहने से कुछ नहीं सीख पाता, समझदार व्यक्ति वही कहलाता है जोकि धीरज रखने वाला, क्रोधित न होने वाला और निडर होता है।

42. बीते हुए कल को जाने दीजिये, भविष्य को जाने दीजिये, वर्तमान को भी जाने दीजिये, और अपने अस्तित्व की सीमाओं से बाहर झाँक कर देखिये। जब आपका मन पूरी तरह आजाद होता है, तो आप जीवन-मृत्यु को उसके सही स्वरूप में देख पाते हैं।

43. शांतिप्रिय लोग आनंद से जीवन जीते हैं और उन पर हार या जीत का कोई प्रभाव नहीं पड़ता। 

44. हजार लड़ाई जीतने से अच्छा है अपने आप को जीतना। फिर जीत तुम्हारी है, इसे तुमसे कोई नहीं ले सकता न ही स्वर्गदूतों द्वारा न ही राक्षसों द्वारा, न ही स्वर्ग या नरक में।

45. अपने बराबर या फिर अपने से समझदार व्यक्तियों के साथ सफ़र कीजिये, मूर्खो के साथ सफ़र करने से अच्छा है अकेले सफ़र करना।

46. कोई भी व्यक्ति सिर मुंडवाने से, या फिर उसके परिवार से, या फिर एक जाति में जनम लेने से संत नहीं बन जाता; जिस व्यक्ति में सच्चाई और विवेक होता है, वही धन्य है, वही संत है।

47. जिस तरह से लापरवाह रहने पर, घास जैसी नरम चीज की धार भी हाथ को घायल कर सकती है, उसी तरह से धर्म के असली स्वरूप को पहचानने में हुई गलती आपको नरक के दरवाजे पर पहुंचा सकती है।

48. घृणा घृणा से नहीं प्रेम से ख़त्म होती है, यह शाश्वत सत्य है।

49. अराजकता सभी जटिल बातों में निहित है. परिश्रम के साथ प्रयास करते रहो।

50. ज्ञानी व्यक्ति कभी नहीं मरते और जो नासमझ हैं, वे तो पहले से ही मरे हुए हैं।

51. किसी जंगली जानवर की अपेक्षा एक कपटी और दुष्ट मित्र से अधिक डरना चाहिए, क्योंकि जानवर तो बस आपके शरीर को नुक्सान पहुंचा सकता है, पर एक बुरा मित्र आपकी बुद्धि को नुक्सान पहुंचा सकता है।

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Wednesday, September 12

असफलता से सफलता तक – Failure Is The First Step Towards Success

              असफलता से सफलता तक.

      Failure Is The First Step Towards.                            Success

हर व्यक्ति सपने देखता है और उन्हें पूरा करने की कोशिश करता है| लेकिन ज्यादातर लोग परिस्थितियों एंव असफलताओं के आगे घुटने टेक देते है और वे मान लेते है कि यही उनकी जिंदगी का सत्य है| हम भूल जाते है कि
“हम तब तक असफ़ल नहीं होते, जब तक कि हम प्रयास करना नहीं छोड़. देते”
हम यह समझते है कि हमारे सफल न होने का कारण लोग, समस्याएँ या परिस्थितियां है| लेकिन दरअसल ऐसा कहकर हम स्वंय को धोखा दे रहे होते है|
असफल कौन नहीं होता, समस्याएँ किनके सामने नहीं आती, आदर्श जीवन में कौन पैदा होता है ??
हर किसी के जीवन में समस्याएँ आती है|
“कभी कभी जिंदगी आपके सर को ईंट से भी मारती है| अपने विश्वास को मत खोइए ” – स्टीव जॉब्स  
हर व्यक्ति असफल होता है, समस्याएँ हर व्यक्ति के जीवन में होती है| लेकिन फर्क सिर्फ इतना है कि कुछ लोग सकारात्मक नजरिये की वजह से परिस्थितियों के आगे हार नहीं मानते वे परिस्थितियों और लोगों द्वारा फेंके गई ईटों से एक मजबूत नीवं बना लेते है और प्रयास जारी रखते है|
“असफलता का मतलब यह नहीं है कि आप असफल है बल्कि इसका मतलब सिर्फ इतना है कि आप अभी तक सफल नहीं हुए है|” 
यह केवल नजरिये का ही फर्क है कि कुछ लोग असफलताओं को उनके सपनों तक पहुँचने की पहली सीढ़ी मानते है और कुछ लोग असफलताओं को उनके सपने टूटने का कारण मानते है|
जीवन में कठिनाइयाँ हमे बर्बाद करने नहीं आती हैबल्कि यह हमारी छुपी हुई सामर्थ्य और शक्तियों को बाहर निकलने में हमारी मदद करती हैकठिनाइयों को यह जान लेने दो की आप उससे भी ज्यादा कठिन हो। – अब्दुल कलाम 
इस दुनिया में कोई भी व्यक्ति ऐसा नहीं होगा जो कि बिना किसी कठिनाइयों और असफलताओं के सफल हुआ हो|
असफलताएँ और कठिनाइयाँ का उद्देश्य हमारे सपनों को पूरा करना होता है क्योंकि हम बार-बार यह भूल जाते है कि हमारे भीतर असीम शक्ति है जिसके लिए नामुनकिन कुछ भी नहीं|
जो सामने पहाड़ दिखता हैउसे चढ़ने में आप थकते नहीं हो बल्कि आपके जूते में छिपा कंकड़ ही आपको तकलीफ देता है। –Muhammad Ali
अगर जीवन में कठिनाइयाँ और समस्याएँ आ रही तो इसका भी कुछ न कुछ उद्देश्य होता है जिसे हमें आत्मचिंतन द्वारा समझना होता है| हमें अपने भीतर झांकना होता है और अपनी शक्तियों को जागृत करना होता है|
हमारी समस्या यह नहीं कि हम कठिनाइयों का सामना नहीं कर सकते बल्कि समस्या यह है कि हम अपनी असीमित शक्तियों को नहीं पहचानते|

जब विल्मा रुडोल्फ (Wilma Rudolph) अपनी विकलांगता को हराकर ओलम्पिक रेस जीत सकती है तो हम अपने सपने पूरे क्यों नहीं सकते ???
जब Nick Vujicic बिना हाथ पैरों के लिख सकता है, तैर सकता, फुटबॉल खेल सकता है और अपने सपने पूरे कर सकता है, तो हम क्यों नहीं ???
जब विकलांग इरा सिंघल (Ira Singhal) देश की सबसे प्रतिष्ठित परीक्षा आईएएस(IAS) में टॉप कर अपने सपने पूरे कर सकती है, तो हम क्यों नहीं ???
जब थॉमस अल्वा एडिसन 1000 बार फेल होकर भी प्रयास करना नहीं छोड़ते और आखिरकार अपने सपने पूरे कर सकते है तो हम क्यों नहीं ???
जब अरुणिमा सिन्हा (Arunima Sinha), कृत्रिम पैर पर चलकर माउंट एवेरेस्ट फतह कर सकती है तो हम क्यों नहीं ???

जो व्यक्ति सपने देख सकता है वो सपने पूरे भी कर सकता है| आप चाहे किसी भी जगह हो या जीवन की परिस्थितियां चाहे कैसी भी हो, आपको अपना सपना पूरा करने के लिए जिन वस्तुओं की जरूरत है वो सारी वस्तुएं एंव शक्तियां इस समय आपके पास मौजूद है|

नामुनकिन कुछ भी नहीं – Wilma Rudolph Hindi Motivational Story

नामुनकिन कुछ भी नहीं.


Wilma Rudolph Hindi Motivational Story


“Nothing is Impossible”

विल्मा रुडोल्फ का जन्म अमेरिका के टेनेसी प्रान्त के एक गरीब घर में हुआ था| चार साल की उम्र में विल्मा रूडोल्फ को पोलियो हो गया और वह विकलांग हो गई| विल्मा रूडोल्फ केलिपर्स के सहारे चलती थी। डाक्टरों ने हार मान ली और कह दिया कि वह कभी भी जमीन पर चल नहीं पायेगी।
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विल्मा रूडोल्फ की मां सकारात्मक मनोवृत्ति महिला थी और उन्होंने विल्मा को प्रेरित किया और कहा कि तुम कुछ भी कर सकती हो इस संसार में नामुनकिन कुछ भी नहीं|
विल्मा ने अपनी माँ से कहा ‘‘क्या मैं दुनिया की सबसे तेज धावक बन सकती हूं ?’’
माँ ने विल्मा से कहा कि ईश्वर पर विश्वास, मेहनत और लगन से तुम जो चाहो वह प्राप्त कर सकती हो|
नौ साल की उम्र में उसने जिद करके अपने ब्रेस निकलवा दिए और चलना प्रारम्भ किया। केलिपर्स उतार देने के बाद चलने के प्रयास में वह कई बार चोटिल हुयी एंव दर्द सहन करती रही लेकिन उसने हिम्मत नहीं हारी एंव लगातार कोशिश करती गयी| आखिर में जीत उसी की हुयी और एक-दो वर्ष बाद वह बिना किसी सहारे के चलने में कामयाब हो गई|
उसने 13 वर्ष की उम्र में अपनी पहली दौड़ प्रतियोगिता में हिस्सा लिया और सबसे अंतिम स्थान पर आई। लेकिन उसने हार नहीं मानी और और लगातार दौड़ प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेती गयी| कई बार हारने के बावजूद वह पीछे नहीं हटी और कोशिश करती गयी| और आखिरकार एक ऐसा दिन भी आया जब उसने प्रतियोगिता में प्रथम स्थान प्राप्त कर लिया।
15 वर्ष की अवस्था में उसने टेनेसी राज्य विश्वविद्यालय में प्रवेश लिया जहाँ उसे कोच एड टेम्पल मिले| विल्मा ने टेम्पल को अपनी इच्छा बताई और कहा कि वह सबसे तेज धाविका बनना चाहती है| कोच ने उससे कहा – ‘‘तुम्हारी इसी इच्छाशक्ति की वजह से कोई भी तुम्हे रोक नहीं सकता और मैं इसमें तुम्हारी मदद करूँगा”.
विल्मा ने लगातार कड़ी मेहनत की एंव आख़िरकार उसे ओलम्पिक में भाग लेने का मौका मिल ही गया| विल्मा का सामना एक ऐसी धाविका (जुत्ता हेन) से हुआ जिसे अभी तक कोई नहीं हरा सका था|
पहली रेस 100 मीटर की थी जिसमे विल्मा ने जुता को हराकर स्वर्ण पदक जीत लिया एंव दूसरी रेस (200 मीटर) में भी विल्मा के सामने जुता ही थी इसमें भी विल्मा ने जुता को हरा दिया और दूसरा स्वर्ण पदक जीत लिया|
तीसरी दौड़ 400 मीटर की रिले रेस थी और विल्मा का मुकाबला एक बार फिर जुत्ता से ही था। रिले में रेस का आखिरी हिस्सा टीम का सबसे तेज एथलीट ही दौड़ता है। विल्मा की टीम के तीन लोग रिले रेस के शुरूआती तीन हिस्से में दौड़े और आसानी से बेटन बदली।
जब विल्मा के दौड़ने की बारी आई, उससे बेटन छूट गयी। लेकिन विल्मा ने देख लिया कि दुसरे छोर पर जुत्ता हेन तेजी से दौड़ी चली आ रही है। विल्मा ने गिरी हुई बेटन उठायी और मशीन की तरह तेजी से दौड़ी तथा जुत्ता को तीसरी बार भी हराया और अपना तीसरा गोल्ड मेडल जीता।
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इस तरह एक विकलांग महिला (जिसे डॉक्टरों ने कह दिया था कि वह कभी चल नहीं पायेगी) विश्व की सबसे तेज धाविका बन गयी और यह साबित कर दिया की इस दुनिया में नामुनकिन कुछ भी नहीं (Nothing is impossible)|

फर्क पड़ता है! – प्रेरणादायक कहानी – Starfish Motivational Moral Story in Hindi

फर्क पड़ता है! – प्रेरणादायक कहानी 


Starfish Motivational Moral Story in Hindi

हम सब आदर्शवादी और अच्छे कार्य करने की बातें करते रहते है| जैसे बिजली बचाना, सड़क पर कचरा न फेंकना, शादी समारोह अथवा अन्य आयोजनों या अपने घर में भोजन को waste न करना, ट्रेफिक नियमों का पालन करना, किसी जरूरतमंद की मदद करना और बहुत कुछ| लेकिन हम में से ज्यादात्तर लोग ऐसी बातों का पालन नहीं करते| ऐसा क्यों होता है कि हम पढ़े लिखे लोग ही इन छोटी छोटी बातों का पालन नहीं करते?
सबसे ज्यादा खाना (Food), हम पढ़े लिखे लोग ही waste (वैस्ट) करते है जबकि दूसरी और भारत में रोजाना, लाखों लोग भूखे सोते है|
हम पढ़े लिखे लोग ही बिजली का अपव्यय करते है जबकि भारत के हजारों गावों में अब भी बिजली नहीं है|
ऐसे पढ़े लिखे लोग भी आसानी से मिल जायेंगे जिनके पास इतना भी Time (टाइम) नहीं कि वे सड़क पर पड़े हुए घायल व्यक्ति को अस्पताल पहुंचा दे|
ऐसा क्यों होता है कि हम पढ़े लिखे लोग ही इन बातों को नहीं समझते?
इसका सामान्य सा कारण है और वह है हमारी नकारात्मक सोच| हम में से ज्यादातर लोग यह सोचते है, मानते है और कहते है, कि केवल मेरे अकेले के द्वारा इन बातों का पालन कर लेने से क्या हो जायेगा? इससे क्या फर्क पड जायेगा? वे इस कहावत पर विश्वास करते कि “अकेला चना भांड नहीं फोड़ सकता|”
कहावते तो बहुत है, एक कहावत यह भी है कि “बूँद बूँद से ही घड़ा भरता है”| इसलिए आपके प्रयासों से कुछ फर्क तो पड़ता ही है!
मैं यहाँ पर एक प्रेरणादायक कहानी (Hindi Motivational Story) प्रस्तुत कर रहा हूँ, जो शायद आपने सुनी हो लेकिन हो सकता कि उसका अभी तक आपने अपने जीवन मैं उपयोग नहीं लिया हो| यह कहानी यह बताती है कि आप मानों या न मानों लेकिन कुछ फर्क तो पड़ता ही है|

Starfish – Motivational Moral Story In Hindi

एक आदमी समुद्रतट पर चल रहा था। उसने देखा कि कुछ दूरी पर एक युवक ने रेत पर झुककर कुछ उठाया और आहिस्ता से उसे पानी में फेंक दिया। उसके नज़दीकपहुँचने पर आदमी ने उससे पूछा – “और भाईक्या कर रहे हो?”
युवक ने जवाब दिया – “मैं इन मछलियों को समुद्र में फेंक रहा हूँ।
लेकिन इन्हें पानी में फेंकने की क्या ज़रूरत है?”- आदमी बोला।
युवक ने कहा – “ज्वार का पानी उतर रहा है और सूरज की गर्मी बढ़ रही है।अगर मैं इन्हें वापस पानी में नहीं फेंकूंगा तो ये मर जाएँगी

आदमी ने देखा कि समुद्रतट पर दूर-दूर तक मछलियाँ बिखरी पड़ी थीं। वह बोला – “इस मीलों लंबे समुद्रतट पर न जाने कितनी मछलियाँ पड़ी हुई हैं। इसतरह कुछेक को पानी में वापस डाल देने से तुम्हें क्या मिल जाएगा? इससे क्या फर्क पड़ जायेगा?
युवक ने शान्ति से आदमी की बात सुनीफ़िर उसने रेत पर झुककर एक और मछली उठाई और उसे आहिस्ता से पानी में फेंककर वह बोला :
आपको इससे कुछ मिले न मिले
मुझे इससे कुछ मिले न मिले
दुनिया को इससे कुछ मिले न मिले
लेकिन इस मछली को सब कुछ मिल जाएगा
यह केवल सोच का ही फर्क है| सकारात्मक सोच (Positive thoughts) वाले व्यक्ति को लगता है कि उसके छोटे छोटे प्रयासों से किसी को बहुत कुछ मिल जायेगा लेकिन नकारात्मक सोच (Negative Thoughts) के व्यक्ति को यही लगेगा कि, यह समय की बर्बादी है?
यह हम पर है कि हम कौनसी कहावत पसंद करते है –
“अकेला चना भांड नहीं फोड़ सकता|”
या
“बूँद बूँद से ही घड़ा भरता है”

आप क्या लेना पसंद करेंगे ? उदासी या मुस्कान – Story of Buddha In Hindi

आप क्या लेना पसंद करेंगे ? उदासी या मुस्कान – Story of Buddha In Hindi


विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की रिपोर्ट के अनुसार विश्व में हर 40 सेकंड में एक व्यक्ति आत्महत्या करता है (One person dies by suicide every 40 seconds somewhere in the world). वही भारत में प्रत्येक दो मिनट में एक व्यक्ति आत्महत्या कर लेता है और यह दर लगातार बढ़ रही है|
ज्यादातर बिमारियों जैसे ह्रदय रोग आदि की मुख्य वजह डिप्रेशन ही होता है| अगर व्यक्ति मानसिक तौर पर स्वास्थ्य है तो वह किसी भी परिस्थिति का सामना कर सकता है जैसा कि मशहूर क्रिकेटर युवराज सिंह ने कैंसर से लड़कर किया|
अगर हम लोगों से उनके डिप्रेशन या तनाव की वजह पूछेंगे तो 5 में से 4 व्यक्ति यही कहेंगे कि उनके तनाव एंव परेशानियों की वजह कोई दूसरा व्यक्ति है| ज्यादात्तर लोगों के तनाव की वजह उनकी भावनात्मक अक्षमता या सहनशीलता की कमी होती है लेकिन उन्हें यही लगता है कि उनके तनाव का कारण दूसरे व्यक्ति है|

गौतम बुद्ध के जीवन की प्रेरणादायक कहानी

Motivational Hindi Story of Gautam Buddha

एक बार गौतम बुद्ध किसी गाँव से गुजर रहे थे| उस गाँव के लोगों को गौतम बुद्ध के बारे में गलत धारणा थी जिस कारण वे बुद्ध को अपना दुश्मन मानते थे| जब गौतम बुद्ध गाँव में आये तो गाँव वालों ने बुद्ध को भला बुरा कहा और बदुआएं देने लगे|
गौतम बुद्ध गाँव वालों की बातें शांति से सुनते रहे और जब गाँव वाले बोलते बोलते थक गए तो बुद्ध ने कहा – “अगर आप सभी की बातें समाप्त हो गयी हो तो मैं प्रस्थान करूँ”
बुद्ध की बात सुनकर गाँव वालों को आश्चर्य हुआ| उनमें से एक व्यक्ति ने कहा – “हमने तुम्हारी तारीफ नहीं की है| हम तुम्हे बदुआएं दे रहे है| क्या तुम्हे कोई फर्क नहीं पड़ता????”
बुद्ध ने कहा – जाओ मैं आपकी गालियाँ नहीं लेता| आपके द्वारा गालियाँ देने से क्या होता है, जब तक मैं गालियाँ स्वीकार नहीं करता इसका कोई परिणाम नहीं होगा| कुछ दिन पहले एक व्यक्ति ने मुझे कुछ उपहार दिया था लेकिन मैंने उस उपहार को लेने से मना कर दिया तो वह व्यक्ति उपहार को वापस ले गया| जब मैं लूंगा ही नहीं तो कोई मुझे कैसे दे पाएगा|
बुद्ध ने बड़ी विनम्रता से पूछा – अगर मैंने उपहार नहीं लिया तो उपहार देने वाले व्यक्ति ने क्या किया होगा|
भीड़ में से किसी ने कहा – उस उपहार को व्यक्ति ने अपने पास रख दिया होगा|
बुद्ध ने कहा – मुझे आप सब पर बड़ी दया आती है क्योंकि मैं आपकी इन गालियों को लेने में असमर्थ हूँ और इसलिए आपकी यह गालियाँ आपके पास ही रह गयी है|  
दोस्तों भगवान गौतम बुद्ध के जीवन की यह छोटी सी कहानी हमारे जीवन में एक बड़ा बदलाव ला सकती है क्योंकि हम में से ज्यादात्तर लोग यही समझते है कि हमारे दुखों का कारण दूसरे व्यक्ति है| हमारी परेशानियों या दुखों की वजह कोई अन्य व्यक्ति नहीं हो सकता और अगर हम ऐसा मानते है कि हमारी परेशानियों की वजह कोई अन्य व्यक्ति है तो हम अपनी स्वंय पर नियंत्रण की कमी एंव भावनात्मक अक्षमता को अनदेखा करते है|
यह हम पर निर्भर करता है कि हम दूसरों के द्वारा प्रदान की गयी नकारात्मकता को स्वीकार करते है या नहीं| अगर हम नकारात्मकता को स्वीकार करते है तो हम स्वंय के पैर पर कुल्हाड़ी मारते है|