कभी इसका दिल रखा और कभी उसका दिल रखा,
इसी कशमकश में भूल गए खुद का दिल कहाँ रखा। 🙏
निकल रहा था सुबह तक मेरे होठो से खून,
रात को इस कदर तेरी तस्वीर को चूमा था मैंने।
कुछ को हकीकत कुछ ख्वाब करना है,
बहुत से लोग है जिनका हिसाब करना है। 😊
दर्द मीठा हो तो रुक रुक के कसक होती है,
याद गहरी हो तो थम थम के क़रार आता है।
ग़ज़ब की दीवानगी है तुम्हारी मोहब्बत में,
तुम हमारे नहीं फिर भी हम तुम्हारे हो गए।
नहीं जानता के मँज़िल तक पहुँचेंगे भी ये रास्ते या नहीं,
फिर भी इन रास्तों में अब मैं उम्मीद की एक मशाल ढूँढता हूँ!
इसी कशमकश में भूल गए खुद का दिल कहाँ रखा। 🙏
निकल रहा था सुबह तक मेरे होठो से खून,
रात को इस कदर तेरी तस्वीर को चूमा था मैंने।
कुछ को हकीकत कुछ ख्वाब करना है,
बहुत से लोग है जिनका हिसाब करना है। 😊
दर्द मीठा हो तो रुक रुक के कसक होती है,
याद गहरी हो तो थम थम के क़रार आता है।
ग़ज़ब की दीवानगी है तुम्हारी मोहब्बत में,
तुम हमारे नहीं फिर भी हम तुम्हारे हो गए।
नहीं जानता के मँज़िल तक पहुँचेंगे भी ये रास्ते या नहीं,
फिर भी इन रास्तों में अब मैं उम्मीद की एक मशाल ढूँढता हूँ!